ध्यान में इश्वर दिखाई दे तो क्या मांगेंगे – जब तक मांग है वह दिखाई भी नहीं देता ?


ईश्वर में ईश धातु – मांगने के उपक्रम को दर्शाती है | तो अध्यात्म में अर्पण,पूजा इत्यादि हमेशा ब्रह्म को होना चाहिए | मनुष्य योनि मिल गई, और ज्यादा क्या चाहिए – कोशिश करें तो मोक्ष भी मिल सकता है |

 

ब्रह्म निराकार, निर्गुण हैं – दिखेंगे क्या ? ध्यान हमेशा चिंतन के द्वारा होता है – कर्मों की पूर्ण निर्जरा करनी होती है | धीरे धीरे अन्दर उमड़ते हर प्रश्न को जड़ से खत्म करना होता है | जब प्रश्न जड़ से उखड़ जाएंगे तो दोबारा नहीं उभरते – भूलने की बात तो आती ही नहीं |

 

ध्यान रहे – हम सबसे उच्चतम योनि में स्थित हैं, जन्म भी एक ही है – अगला शरीर तो आत्मा धारण करेगी, हम नहीं | अगर हम आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं तो पूरी शिद्दत के साथ शवासन की मुद्रा में लेटकर, कर्मों की निर्जरा करें – जितनी भी progress होगी, अगले जीवन में आत्मा उसी level से शुरू करेगी |

 

Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani

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