गलत सोचना भाव कर्म के अन्तर्गत आता है | अगर किसी का physical अहित करने पर हमें karmic scale पर -1000 मिलते हैं, तो सपनों या ख्यालों में उसी काम को करने पर -1 यानी 1000 गुना कम दंड | लेकिन दंड मिलेगा जरूर, चाहे अंशमात्र ही |
जैन धर्म में भाव कर्म की theory को बड़ी मान्यता प्राप्त है | सब जैनी मूलतः यही कोशिश करते हैं कि अंदर से भी शुद्ध भावना रहे | मेरी भावना स्त्रोत में यह पंक्ति आती भी है – रहे भावना ऐसी मेरी सरल सत्य व्यवहार करूं |
सत्य की राह पर चलने वाला इंसान कभी किसी का बुरा नहीं सोचता |
पाप और पुण्य में क्या अंतर होता है? पाप और पुण्य क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani