किसी भी कार्य की जड़ में सोच होती है – पहले हम सोचते हैं फिर उस सोच को क्रियान्वित करते हैं | अब तक हमने पिछले जन्मों में जो सोचा और क्रियान्वित किया उसी कर्मफल के आधार पर वर्तमान जीवन मिला | तो आज के जीवन के लिए कौन जिम्मेदार हुआ – हमारी पिछले जन्मों से चली आ रही सोच | जैसा हम सोचते है – वैसे ही हो जाते हैं |
हम जेल में हैं – जैसा साथ मिला वैसी सोच हो गई | जेल से बाहर आकर हम डकैती/ या किसी के मर्डर के बारे में सोचते हैं तो कौन जिम्मेदार है – हमारी जेल के समय की सोच | जो हम आज सोच रहें हैं वह तय करेगा हमारा फ्यूचर/ हमारी नियति | एक राजा और मजदूर में फर्क किस बात का है – सिर्फ सोच का !
हम अगर तय कर लें कि आज से हर हाल में अच्छा ही सोचेंगे – तो देखिए आपकी जिंदगी कैसी आनंदमय हो सिर्फ खुद को, परिवार को ही नहीं बल्कि पूरे समाज को आनंदित करेगी | पॉजिटिव सोच ही तो आनन्द की जड़ है | एक बार पूर्ण positive हो कर तो देखें ?
पाप और पुण्य में क्या अंतर होता है? पाप और पुण्य क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani