भगवत प्राप्ति के लिए हमें कर्म इस प्रकार करने होंगे की सिर्फ पुण्य कर्मफल ही मिले | इसके बाद स्थिति आएगी कि हम कर्मफल से भी दूर हो जाएं | जब शरीर आत्मा ने धारण किया है तो कर्मफल हमेशा आत्मा का हुआ |
कर्मों की निर्जरा करने के लिए हमें कर्मों में निष्काम भाव से उतरना होगा | कर्म तो हम करेंगे लेकिन उसके फल से नहीं बंधेंगे | जब कर्मबंध नहीं बनेगा तो कर्मों की निर्जरा शुरू हो जाएगी | वक़्त लगेगा लेकिन एक दिन सम्पूर्ण कर्मों की निर्जरा हो जाएगी | इस स्थिति में हम निर्विकल्प समाधि में स्थापित हो जायेंगे |
उसके बाद प्राप्त होने योग्य और कुछ रह नहीं जाता |
Nishkama Karma Yoga | निष्काम कर्म योग का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani