निष्काम कर्म यानि कर्म तो करेंगे लेकिन कर्मफल के पीछे नहीं भागेंगे | कोई भी युग हो, कैसा भी समय – निष्काम भाव से काम तो हमेशा ही किया जा सकता है – बस जुनून होना जरूरी है | अगर ठान लिया इसी जीवन में तत्वज्ञान प्राप्त करना है तो कोई है/ या कोई कारण है जो हमें ऐसा करने से रोक सके |
अपने experience से कह रहा हूं – अगर जिद्द पक्की है तो फिर भगवान भी सच्चे साधक की सपोर्ट में आ जाते हैं | भगवान में 100% आस्था और सत्य का मार्ग – दोनों जरूरी हैं निष्काम भाव से कर्म करने के लिए | भगवान में पूर्ण आस्था इस बात को दृढ़ करती है कि हम एक आत्मा हैं न कि एक शरीर |
कर्मफल तो हमेशा आत्मा का ही होता है | सत्य के मार्ग पर टिके रहने से हमें समय समय पर ब्रह्म का साथ मिलता रहता है | अगर हमारे अंदर यह भाव दृढ़ हो जाए कि हम एक आत्मा हैं तो किसी भी कर्म को निष्काम भाव से करने में कभी दिक्कत नहीं होती |
Nishkama Karma Yoga | निष्काम कर्म योग का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani