हमारी आत्मा अपने एक जीवन में 11 लाख मनुष्य योनियों के फेर से गुजरती है | वह तब तक शरीर धारण करती रहेगी जब तक पूर्णतया शुद्धि न पा जाए | मनुष्य खुद पैदा नहीं होता | यह मनुष्य शरीर तो हमारी आत्मा ने धारण किया है जो सूर्य के गर्भ में बैठी है | वहीं से हमारे हृदय को remote control द्वारा संचालित करती है |
अगर हम चाहते हैं हमारी आत्मा और शरीर धारण नहीं करे और कोई अगला जन्म न हो – तो हमे अध्यात्म में ध्यान में उतरना होगा और 12 साल की ध्यान और अखंड ब्रह्मचर्य की तपस्या को पूरा करना होगा | ऐसा करने से हमारी कुण्डलिनी पूर्ण जागृत हो जाएगी, सातों चक्र खुल जाएंगे और अंततः सहस्त्रार खुल जाएगा |
ऐसा होते ही हम 84 लाखवी योनि में स्थापित होकर महर्षि रमण के level पर आ जाएंगे | और जैसे ही हम प्राण छोड़ेंगे, हम मोक्ष/ मुक्ति को प्राप्त हो जाएंगे, यानि हमारी आत्मा जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए आज़ाद |
1.1 million manifestations in Human form? मनुष्य रूप में ११ लाख योनियों का सफर | Vijay Kumar