जब मानव शरीर की मृत्यु हो जाती है तो भारतीय विधि अनुसार मृत शरीर को जला दिया जाता है | जलाया उसी को जाता है जिसका पुनर्जन्म नहीं | भारतीय शास्त्रानुसार शरीर तो आत्मा ने धारण किया था | वह शरीर सिर्फ एक जीवन के लिए था | हां, मृत्यु के बाद आत्मा नया शरीर धारण करेगी अगर मैचिंग पैरेंट्स available हैं |
क्योंकि हर मानव सिर्फ और सिर्फ एक ही जीवन के लिए आता है तो हमें हर संभव कोशिश करनी चाहिए कि हम अध्यात्म में ज्यादा से ज्यादा प्रगति कर लें और हर समय पुण्य कर्म में लगें न कि पापकर्म में | ऐसा करने से आत्मा को अगले जन्म में जो नया शरीर मिलेगा वह उच्च योनि में मिलेगा | असल में हम हैं तो आत्मा पर अपने असली रूप को पहचान नहीं पा रहे हैं |
जैसा देखने में आता है – भारतवर्ष में ज्यादातर साधक आध्यात्मिक प्रगति अगले जीवन के लिए छोड़ देते हैं | यह ग़लत है | सारे साधन उपलब्ध होते हुए अगर हम इस जीवन में ज्यादा कुछ आध्यात्मिक प्रगति नहीं कर पाए तो अगले जन्म की क्या guarantee ? अगले जन्म को भूलकर हमें वर्तमान जीवन में आध्यात्मिक उन्नति का भरसक प्रयास करना चाहिए |
1.1 million manifestations in Human form? मनुष्य रूप में ११ लाख योनियों का सफर | Vijay Kumar