नया ब्रह्माण्ड शुरू होने से कुछ समय पहले सारी आत्माएं पुराने ब्रह्माण्ड में व्याप्त थी | नया ब्रह्माण्ड शुरू होने का मतलब है पुराने ब्रह्माण्ड की समाप्ति | और यह समाप्ति होती है प्रलय के द्वारा | जब प्रलय आ जाती है तो पूरा ब्रह्माण्ड सिमटने लगता है और अंततः अस्थ अंगुष्ठ (आधे अंगूठे) के आकार में आ जाता है |
प्रलय के समय हर आत्मा जिस अवस्था में भी हो – 84 लाखवी योनि में स्थापित हो जाती है | यह automatic process है | शुद्ध अवस्था में पूरे ब्रह्माण्ड की सभी आत्माएं सिर्फ आधे अंगूठे का आकार लेती हैं | यह असीमित energy (आधे अंगूठे के size की) स्वयं को शुद्ध अवस्था में रोक नहीं पाती और फिर Big Bang के द्वारा फटती है |
और उत्पन्न हो जाता है एक नया ब्रह्माण्ड | सारी आत्माओं का गुच्छा अपनी शुद्ध अवस्था में – इसी को हम ब्रह्म, परमात्मा कहते हैं |
What is a Pralaya in Hinduism? हिन्दू धर्म में प्रलय क्या होती है | Vijay Kumar Atma Jnani