हिन्दू कहते हैं प्रारब्ध की वजह से दुःख भोगने पड़ते हैं – क्या प्रारब्ध काटने की शक्ति किसी के पास नहीं ?


प्रारब्ध कर्म कर्मों का वह हिस्सा है जो अभी फलित होना बाकी हैं | जब बच्चा पैदा होता है तो ज्यादातर संचित कर्म फलित हो जाते हैं और बच्चे को उसी अनुसार जन्म मिलता है कुम्हार के घर में या राजा के इत्यादि | प्रारब्ध ब्रह्म द्वारा रोका हुआ वो कर्मफल हैं जो कभी भी फलित हो सकता है, इस जन्म में या अगले किसी जन्म में |

 

अगर प्रारब्ध कर्मफल negative है तो जब भी वह फलित होगा तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ेगा | अगर प्रारब्ध कर्मफल positive है तो संभव है हमारी लॉटरी लग जाए |

 

२०१२ में US में प्रवास के दौरान अख़बार में पढ़ा | एक धोबिन की (अमेरिकन washer woman) की ७८० करोड़ की लॉटरी लगी है | क्या उसने वर्तमान में कुछ ऐसा किया होगा कि कई जन्मों का खज़ाना मिल गया | नहीं ! अख़बार में लिखा था बड़ी कठिनाई में वो अपना घर चला रही थी | पिछले जन्मों में किए पुण्य अचानक फलित हो गए | यही positive प्रारब्ध की महिमा है |

 

संचित प्रारब्ध अगर positive हैं तो सोचना कैसा, अगर negative हैं तो भारतीय शास्त्र यह कहते हैं कि वर्तमान में हमें सिर्फ और सिर्फ positive (पुण्य) कर्मों में अपने आप को संलग्न रखना चाहिए | तभी हम नेगेटिव प्रारब्ध कर्मफल को neutralize कर पाएंगे |

 

मान लें हमारा negative संचित प्रारब्ध -२० है (जो हमे ज्ञात नहीं) तो हमें अपने वर्तमान में पुण्य कर्म करके +२० कमाने होंगे जिससे पिछले जन्मों का negative effect neutralize हो जाए और हम zero karmic index पर आ जाएं | तो जब negative प्रारब्ध strike करेगा हम +२० के साथ पहले से तैयार होंगे और अचानक दुख झेलने से बच जाएंगे |

 

What is Prarabdha Karma | प्रारब्ध कर्म क्या होता है | Vijay Kumar Atma Jnani

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