ज़िन्दगी बिताने के लिए नहीं, जीने के लिए दी है ब्रह्म ने | ब्रह्म/आत्मा चाहते हैं हम अध्यात्म की राह पकड़ जल्द से जल्द शुद्ध आत्मा हो जाएं अर्थात मोक्ष ले लें | मनुष्य योनि ब्रह्माण्ड के सूर्य क्षेत्र की सबसे उच्च योनि है, जिस योनि में आत्मा शुद्ध रूप में वापस आ सकती है, किसी निचली योनि में नहीं | हम मनुष्यों का परम कर्तव्य है हम जल्द से जल्द अपने जीवन का goal निर्धारित करें |
99% लोग इस धरती पर बिना goal स्थापित किए जी रहे हैं | वह तो पशु पक्षी समाज भी कर रहा है | हर जन्म में फिर वही nursery class से जीवन शुरू, क्या यही जिंदगी के मायने हैं ?
अगर हम शादी न करने का मन बना चुके हैं तो स्वामी विवेकानंद का रास्ता क्यों नहीं ? 12 वर्ष का अखंड ब्रह्मचर्य और 12 वर्ष की ध्यान की तपस्या और खेल खत्म | महर्षि रमण बन हम हमेशा के लिए जन्म मरण के चक्र से मुक्ति पा ब्रह्म का साक्षात्कार पा लेंगे |
यह बात मज़ाक में लेने की नहीं है | शादी के बावजूद मैंने दोनों ब्रह्मचर्य और ध्यान की तपस्या 24 की आयु में शुरू कर 37 में समाप्त की, जब ब्रह्म ने 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार दिया और मेरे जीवन का लक्ष्य पूरा हो गया | अगर हम यह समझ गए कि ब्रह्मचर्य क्या है और ध्यान कैसे करते हैं तो इसी जन्म में भगवान से मिलने से कोई नहीं रोक सकता |
धर्म क्या है (आज के समय में लोग धर्म को ही religion मानते हैं), और इसका religion से क्या नाता है, सिर्फ इस बात को समझने में मुझे लगभग 9 साल लगे | और धर्म, religion और अध्यात्म में क्या रिश्ता है, इस बात को भलीभांति समझने में पूरे 15 साल |
अगर कोई साधक मेरी इस बात का मर्म समझ ले तो उसे समझ आएगा कि ध्यान/चिंतन इतना आसान भी नहीं | हमे शाब्दिक अर्थ नही समझना है, अंदर छिपे तत्व, सत्य तक पहुंचना है जो आज के समय में कोई करना नहीं चाहता |
मुख्य बात है मर्म को समझना | हर सच्चे साधक के लिए मैं 24*7*365 उपलब्ध हूं | आकर मिलें तो सही | काफी साधक पूछते हैं, आपकी फीस ? ब्रह्मज्ञान, वेदों का ज्ञान देते समय ऋषियों से ब्रह्म ने fees ली थी क्या जो मैं मांगूगा | मेरी इतनी क्षमता नहीं, ब्रह्म इजाजत नहीं देते | हां कोई साधक खुद की श्रद्धा से जो दे जाता है, मना भी नहीं करता | 1993 से कमाई का कोई साधन नहीं, donations पर आश्रित हूं |
What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani