ब्रह्मचर्य का पालन भंग क्यों हो जाता है मुझ से ?


शुरुआत कहां से होती है ? सभी कर्मों और कार्यों के पीछे होती है हमारी सोच | पहले हम सोचते हैं फिर उस पर अमल करते हैं/ उसे क्रियान्वित करते हैं | ब्रह्मचर्य का पालन कैसे होगा अगर हम अपनी सोच को लगाम नहीं देंगे ?

 

जैसी ही feminine gender का कोई भी सदस्य हमें दिखेगा, मन में भांति भांति विचार आएंगे – कुछ अच्छे कुछ बुरे | बुरे विचारों को अगर हमने जड़ से खत्म नहीं किया तो वे हमें पकड़ कर बैठ जाएंगे और न चाहते हुए भी ब्रह्मचर्य टूट जाएगा |

 

Example के तौर पर –

हमने सड़क पर जाती एक सुंदर लड़की देखी – मन तो हुआ बार बार मुड़ कर देखने का लेकिन सामाजिक डर से मुड़ कर नहीं देखा | लेकिन वो लड़की खयालों में रह गई – नतीजा, masturbation या रात में nightfall | दोनों अवस्थाओं में ब्रह्मचर्य टूट गया |

 

लड़की को देखते ही अगर हम ब्रह्मचर्य मंत्र के द्वारा लड़की को दिमाग से निकाल बाहर फेंकते तो ब्रह्मचर्य नहीं टूटता लेकिन ऐसा आपने किया नहीं | गलती किस की है ? आगे से अगर हम हर गलत विचार को जड़ से ही खत्म कर देंगे तो ब्रह्मचर्य टूटेगा नहीं |

 

यह बात किसी व्यक्ति विशेष की नहीं, सभी के साथ ऐसा होता है | आजकल आप अक्सर देखेंगे, 60 से ऊपर की अधेड़ उम्र के लोग लड़कियों को निहारते हुए – ऐसे लोग क्या ब्रह्मचर्य की प्रैक्टिस के योग्य हैं ? विचारों को विराम दीजिए – सब कंट्रोल में आ जाएगा |

 

What is the concept of Brahmacharya? ब्रह्मचर्य क्या है | Vijay Kumar Atma Jnani

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