ब्रह्मचर्य पालन के दो रूप हैं –
1. physical ब्रह्मचर्य – शारीरिक संसर्ग से दूर रहना | मन या अन्तःकरण में भी शारीरिक संबंधों का ख्याल नहीं आना चाहिए अन्यथा स्वप्नदोष (nightfall) हो जाएगा | ऐसा करने से वीर्य की शक्ति जिसे अमृत भी कहते हैं मूलाधार में इकट्ठा होने लगेगा, उसी तरह जैसे dam में पानी store किया जाता है |
अब हम इस stored energy को channelize कर सकते हैं जैसे dam में पानी को turbine के through channelize करके बिजली का उत्पादन किया जाता है | मूलाधार में एकत्रित अमृत को जब हम कुण्डलिनी में ऊपर उठाएंगे तो हम अपार अंदरूनी शांति महसूस करेंगे और साथ साथ पाएंगे की हमारी स्मरण शक्ति और एकाग्रता कई गुना बढ़ गए हैं |
आध्यात्मिक साधक इस शक्ति को कुण्डलिनी जागरण और चक्र खोलने में लगा देता है |
2. ब्रह्मचर्य का असली स्वरूप है मानसिक – हम अपने अंदर एक भी नेगेटिव विचार न आने दें | ऐसा करने से ब्रह्मचर्य की जो शक्ति है वह कई गुना नहीं, हजारों गुना बढ़ जाएगी | अगर कोई साधक मानसिक ब्रह्मचर्य 12 वर्ष तक लगातार practice कर ले तो वह उसी क्षण स्वामी विवेकानंद बन जाएगा |
दोनों physical और मानसिक ब्रह्मचर्य किसी भी इंसान को तत्वज्ञानी या JRD Tata बनाने की क्षमता रखते हैं |
12 years Brahmacharya benefits | 12 साल का अखंड ब्रह्मचर्य का जादू | ब्रह्मचर्य मंत्र | Vijay Kumar