कलियुग में भगवान को पाने का shortcut – बस इसी बात की कमी रह गई थी | भगवान अदृश्य है तो चलों भगवान को भी cheat कर लेते हैं ! कैसे ?
मन्नत 51/= की मांगी थी लेकिन चढ़ावा चढ़ाया 5/= का | कोई देख नहीं रहा तो हुंडी में डालने की बजाय पैसे उठा लिए | मंदिर इसलिए जाते हो कि सारा समाज देखे | सनातन श्रुति शास्त्रों में उलझने कि बजाय भजन कीर्तन में मस्त हो | भगवान को पाना चाहते हो लेकिन करते कुछ नहीं |
हृदय से आती भगवान कृष्ण की वाणी सुनने की बजाय, किताबी ज्ञान में उलझे रहते हो | क्या इन्हीं सब प्रपंचों से भगवान को पाना चाहते हो ?
चाहे साल गुजरें या हजारों, लाखों साल – ब्रह्म को पाने का तरीका बदलेगा नहीं | सब कुछ नियति पर छोड़ कर चलोगे तो ब्रह्म को पाने के लिए ब्रह्म ने ही 11 लाख योनियों का सफर सुनिश्चित किया है – यानि 1 करोड़ वर्ष की अवधि |
अगर जल्दी है तो 12 वर्ष की अखंड ब्रह्मचर्य और ध्यान साधना में उतरना होगा – वहीं तपस्या जो महावीर ने 12 वर्ष टीले के ऊपर खड़े होकर की और बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे |
अध्यात्म में मूलतः कोई शॉर्टकट नहीं होता | यहां कुछ भी सरल नहीं | गीताप्रेस में 5/= रुपए मूल्य की गीता मिलती है (जिसमें पूरे 700 श्लोक हैं) – कितने समझ पाए ? स्वामी विवेकानंद 1902 में चले गए, दूसरा – तीसरा स्वामी विवेकानंद कहां हैं ?
12 years Tapasya | 12 साल की घोर तपस्या का सच | Vijay Kumar Atma Jnani