भगवान यानि ब्रह्म को जानने के लिए खुद ब्रह्म ने १ करोड़ वर्ष की अवधि तय की है | तब जाकर एक साधक का ब्रह्म से साक्षात्कार हो पाता है | भारतीय दर्शन शास्त्रों के अनुसार ११ लाख योनियों का आध्यात्मिक सफर चिंतन के माध्यम से ध्यान में उतरकर किया जा सकता है | यह एक लम्बी प्रक्रिया है |
आध्यात्मिक क्षेत्र में कुछ भी किताबी ज्ञान की तरह नहीं समझा जा सकता | इसलिए साधक को चिंतन का सहारा लेना ही होगा जिसे english में contemplation कहते हैं | तभी हम भगवान की असलियत को समझ सकेंगे और उसे प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक मार्ग पर जा सकेंगे |
हर आध्यात्मिक साधक हमेशा से यह पूर्ण विश्वास रखता है कि ब्रह्म होते हैं | किसी के कहने पर भी उसका विश्वास भगवान के ऊपर से नहीं डगमगाता | वह बेहिचक आध्यात्मिक मार्ग पर बढ़ता चला जाता है और अंततः भगवान को प्राप्त कर लेता है |
Is God formless in Hinduism? भगवान साकार है या निराकार | Vijay Kumar Atma Jnani