जब एक साधक योगासन द्वारा अपने शरीर को स्वस्थ, हृष्ट पुष्ट रखता है तो उसे शारीरिक शक्ति में नहीं गिना जाता | शारीरिक शक्ति तो हमेशा professional के पास होती है – जैसे swimming करने वाला अपनी शारीरिक शक्ति को swimming की तरफ मोड़ देता है | पहलवान पहलवानी की ओर और बॉक्सर बॉक्सिंग की ओर |
मानसिक शक्ति का इस्तेमाल सभी पढ़े लिखे लोग अपने को प्रोफेशन में आगे बढ़ाने के लिए करते हैं | लेकिन मानसिक शक्ति का मूल इस्तेमाल अध्यात्म में होता है जब एक साधारण सा दिखने वाला बालक एक दिन महर्षि रमण बन जाता है | आम इंसान कितना भी पढ़ा लिखा हो अपने मस्तिष्क का लगभग 2~3 % से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करता |
बाकी बंद पड़ा 97~98 % मस्तिष्क सिर्फ और सिर्फ अध्यात्म में ज्ञानयोग के रास्ते पर चलकर खुलता है | एक तत्वज्ञानी अपना मस्तिष्क full capacity 100% पर इस्तेमाल करता है | 100% मस्तिष्क का खुलने का मतलब है – कुण्डलिनी पूरी जागृत हो चुकी है, सारे चक्र खुल चुके है और सहस्त्रार पूरी तरह activate हो गया है |
महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस और महर्षि रमण अपना मस्तिस्क full 100% capacity पर इस्तेमाल करते थे |
Secret of opening the Third Eye | तीसरा नेत्र खुलने का रहस्य | Vijay Kumar Atma Jnani