भगवान ने माया बनाई क्यों जब मनुष्य जन्म और मरण के फेरे में फंसा ही रहता है ?


शक्तिशाली तो मेरे बगल में बैठी अधनंगी फिल्मी हीरोइन भी है | उसके साथ तो मैं पब्लिक में अश्लील हरकत करने की सोच भी नहीं सकता | क्यों ? रुक क्यों गए ? उठो और छेड़खानी शुरू करो – अत्यधिक सुंदर जो है |

 

इसी तरह ब्रह्म की मायानगरी में एक से एक आकर्षक वस्तुएं मिलेंगी | ब्रह्म ने हमें will power और विवेक से नवाजा है जिसका इस्तेमाल कर हम अपने को संयमित रखते हैं – टूट नहीं पड़ते | अन्यथा महर्षि विश्वामित्र हो जायेंगे | मेनका देखी नहीं कि फिसल गए |

 

ब्रह्म ने मनुष्य रूप में 11 लाख योनियों का लंबा सफर दिया है – शायद इसी कारण मायाजाल इतना सशक्त है | हम अभिमन्यु की तरह इस मायारूपी नगरी में फंसे हैं | बाहर तभी निकल सकेंगे जब अध्यात्म की राह पकड़ कर्मों की पूर्ण निर्जरा करने में सफल होंगे |

 

ब्रह्म का रचाया खेल है | ब्रह्म से शिकायत कैसी ? हमे तो बस करते चले जाना है – करते चले जाना |

 

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