मौत के समय तो छोड़ो – पूरे जीवन मनुष्य कोई भी मंत्र जीवन के हर पल बोलता रहे तो भी कुछ प्राप्त नहीं होगा | ऐसा करने से कर्मों की निर्जरा तो हुई नहीं – तो मुक्ति का क्या मतलब ? भोग योनि में व्यस्त रहकर इंसान सब कुछ चाहता है बिना परिश्रम किए |
पूरा जीवन फालतू के कामों में व्यस्त रहे और अंत समय आया तो चलो मुक्ति भवन, वाराणसी चलते हैं – मोक्ष तो लेना ही है ?? सारी दुनिया हर समय ब्रह्म को बेवकूफ समझ उसका बेवकूफ बनाने में लगी रहती है – कभी गंगा स्नान, कभी व्रत, कभी भूखे को खाना खिला दिया, कभी मंदिरों में दान दे दिया | कर्मों की निर्जरा – वह कभी नहीं करेंगे – एक बार भी नहीं |
मंदिर जाना नहीं छोड़ेंगे, सारे धार्मिक प्रपंच करेंगे और फिर सोचेंगे – भगवान तो सुनते ही नहीं | जैसे कोई बिजनेसमैन किसी बाबू के हाथ में रिश्वत देकर सोचता है अब काम जल्दी हो जाएगा | अगर सच में ब्रह्म से प्यार है तो अध्यात्म की राह पकड़ ध्यान में उतरो | तभी कल्याण संभव है |
What is the real meaning of spirituality? अध्यात्म का वास्तविक अर्थ क्या है ? Vijay Kumar Atma Jnani