अगर कुंभ में स्नान से मोक्ष मिलता तो महावीर और बुद्ध को 12 वर्ष की तपस्या (महावीर की टीले पर और बुद्ध की बोधि वृक्ष के नीचे) की क्या जरूरत थी ? पहले समय में ऋषि मुनि हिमालय की कंदराओं में तपस्या करने क्यों जाते थे ?
जिंदगी भर पाप आचरण में डूबे रहें और अंत समय में कुंभ स्नान और मोक्ष ! वाह क्या परिणति है – कर्मों की निर्जरा किए बिना मोक्ष मिल जाए ! जिस कार्य के लिए खुद ब्रह्म ने 1 करोड़ वर्ष की अवधि का प्रावधान किया हो – वह सिर्फ कुंभ स्नान से मिल जाए क्योंकि आज के महामहिम पंडित ऐसा विचारते हैं ?
कब तक अज्ञानी बने ढकोसलों के पीछे छिपते रहोगे ? मोक्ष मिलता है लेकिन उसके लिए पहले स्वामी विवेकानंद बनना होगा तब कहीं जाकर रामकृष्ण परमहंस बन पाओगे | बिना रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण बने मोक्ष नहीं – ध्यान रहे ब्रह्म के प्रावधान अनुसार 800 करोड़ लोगों में 100 ~ 150 वर्षों में 1 या 2 साधकों को मोक्ष प्राप्ति का अवसर मिलता है |
1886 में रामकृष्ण परमहंस गए, 1950 में महर्षि रमण और अब इंतजार है 64 कलाओं से युक्त निष्कलंक कल्कि अवतार के अवतरण का | मोक्ष कोई किताबी ज्ञान नहीं जो यूं ही हांसिल किया जा सके | 11 लाख योनियों के फेर में साधक कभी भी 12 वर्ष की ब्रह्मचर्य और ध्यान की अखंड तपस्या में उतरकर तत्वज्ञानी बन मोक्ष के द्वार पर पहुंच सकता है |
What is Moksha in simple terms? मोक्ष क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani