मोह माया किसे कहा है – माया का संसार कैसा है ?


मोह हम अपनो से करते हैं | अगर मोह नहीं होता तो मां बच्चा पैदा कर सड़क पर छोड़ देती | पिता घर के घरचों के लिए पैसों का इंतजाम क्यों करते | मोह अपनों को परिवार से जोड़ता है | यह मोह ही है कोई महिला सड़क के किनारे रोते हुए बच्चे को देख उसका कुशलक्षेम पूछने पहुंच जाती है | मोह के बिना परिवार के कोई मायने नहीं |

 

माया – धरती मां के लिए इस्तेमाल होता है | संसार को माया नगरी पुकारते हैं | आदि शंकराचार्य के अनुसार यह मायानगरी भ्रम है | उनके अनुसार ब्रह्म के अलावा जगत में कुछ exist नहीं करता | इसलिए अध्यात्म का सहारा लेकर मनुष्य को इस मायानगरी के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए बाहर निकल जाना चाहिए | तभी हम जन्म मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए मुक्त होंगे |

 

हर मनुष्य ११ लाख योनियों के फेर में बंधा है | मोक्ष प्राप्त करने के लिए हमें पहले मोह का त्याग करना होगा और ध्यान के माध्यम से अध्यात्म में उतरकर ८४ लाखवी योनि में स्थापित होना होगा | तभी हम ब्रह्म से योग कर सकते हैं |

 

What is Moha | मोह क्या है | Vijay Kumar Atma Jnani

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