योग


जैन दर्शन के अनुसार योग और कषाय का कार्य क्या है ?

जैन धर्म नहीं अपितु हिन्दू धर्म के अनुसार कषाय को खत्म करने के लिए निष्काम कर्म योग का सहारा लेना पड़ता है | योग का मूल उद्देश्य कषाय से पूर्ण निवृत्ति होती है | तभी हम प्रभु से आत्मसाक्षात्कार कर सकते हैं |   Nishkama Karma Yoga | निष्काम कर्म योग का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani


इस बात की सच्चाई कि जब तक विचार नहीं बदलेंगे आपकी स्थिति नहीं बदल सकती ?

यह बात कि जीवन का वास्तविक सच सोच में छिपा है मेरी समझ में जल्दी ही आ गई | पिता ने कहा अगर ऐसा नहीं मानते हो तो बताओ टाटा और आम इंसान में क्या अंतर है | बहुत सोच समझने पर यह बात घर कर गई कि हमारी सोच ही हमें दूसरों से अलग बनाती है |   अन्यथा […]


योग की परम अवस्था क्या होती है ?

योग की परम स्थिति होती है जब एक साधक आध्यामिक सफर में तत्वज्ञान प्राप्त कर जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए मुक्त हो, ८४ लाखवी योनि में पहुंच जाता है और अंततः भगवान का साक्षात्कार करने में सफल हो जाता है |   ब्रह्म से योग करने का मतलब भी यही होता है, आत्मा की परमात्मा से […]


योग और अध्यात्म में क्या संबंध है ?

आत्मा परमात्मा से मिलन, योग करना चाहती है और मनुष्य अध्यात्म के रास्ते पर चलकर ब्रह्म को पाना चाहता है, तो दोनो बातों में सामंजस्य कहां ? आत्मा परमात्मा का अभिन्न अंग है, एक गेहूं का दाना आत्मा और पूरी ढेरी परमात्मा | ब्रह्माण्ड में व्याप्त सभी आत्माएं प्रलय के समय जब अपने शुद्ध रूप में आ जाती हैं तो […]


क्या योगा करने से पूर्ण परमेश्वर की प्राप्ति संभव है ?

योगा नाम का शब्द हिंदी या संस्कृति की वर्णावली में नहीं | शब्द है योग – हिंदी में 2 योग 2 = 4, 2 जमा 2 = 4 | आत्मा की ब्रह्म से मिलने की चेष्टा को योग कहते हैं | अगर भगवान से मिलना है तो 12 वर्ष के ध्यान और ब्रह्मचर्य में उतरना होगा | पूर्ण परमेश्वर की […]