इंसान का अंतिम लक्ष्य क्या है ?


हर इंसान का अंतिम जीवन लक्ष्य है मोक्ष प्राप्ति | मोक्ष की स्थिति तक पहुंचना मनुष्य का जीवन लक्ष्य नहीं अपितु उस आत्मा का है जिसने यह मनुष्य शरीर धारण किया है | परमात्मा और आत्मा (के होने) में आस्था भारतीयों की एक बहुत बड़ी विशेषता है | यह बात विशेषकर वहीं समझ सकता है जिसे भारतीय संस्कृति से प्रेम हो |

 

मैंने जीवन में कुछ क्षण ऐसे देखे –

1.. एक व्यवसाई जिसने व्यापार में खूब मेहनत की और अच्छा धन और नाम कमाया – जाते वक़्त उसके चेहरे पर शांति थी लेकिन साथ साथ घमंड का अवसाद भी चेहरे पर साफ दिखाई देता था | शायद उसे अन्दर से इस बात का दुख था कि पैसा प्रॉपर्टी बनाने की होड़ में झूठ का सहारा लिया | बिना दूसरों को छले भारत में कोई business सफल हो नहीं सकता तो पाप कर्मफल उन्हें सता रहा था |

 

2.. एक बेहद ही धार्मिक इंसान जब मृत्यु को प्राप्त हुआ तो चेहरा देखते बनता था | दुख या अवसाद का चेहरे पर नामोनिशान नहीं | पूरी family settled थी | लेकिन फिर भी इस इंसान के अंदर एक पीड़ा थी जो उसकी बातों में साफ झलक रही थी | वह पीड़ा थी अगले जन्म की – इस जन्म में जो जैसा करना चाह किया – लेकिन अगले जन्म में फिर वही nursery से शुरुआत | इस जिंदगी में अर्जित भौतिक संपदा – सब बेकार जाएगी |

 

दोनों इंसान भौतिक दृष्टि में समाज के सामने सुशील, खुश और सफल इंसान थे लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से failure | आध्यात्मिक प्रगति तो दोनों की न के बराबर थी | फिर ऐसा जीवन जीने से क्या लाभ ? धरती पर और खासतौर से भारत में अगर मानव सही ढंग से पूरे जीवन का अवलोकन करे तो पाएगा – आध्यात्मिक जीवन ही असली जीवन है |

 

मोक्ष प्राप्ति के बाद आत्मा को नया शरीर तो धारण करना नहीं पड़ेगा | यह बात सिर्फ महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण ही क्यों समझ पाए | आप चाहें तो आप भी वही सब कर सकते हैं जो इन आध्यात्मिक शूरवीरों ने किया – 12 वर्ष की अखंड ब्रह्मचर्य और ध्यान की तपस्या और खेल हमेशा के लिए खत्म |

 

मैंने जब 8 1/2 वर्ष की आयु से seriously अध्यात्म की राह पकड़ी तो 28 साल अवश्य लगे लेकिन फिर 37 वर्ष की आयु में ब्रह्म से 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार हो ही गया | अगर हम जीवन का लक्ष्य आध्यात्मिक बना लें तो इससे अच्छा और कुछ नहीं |

 

What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani

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