जब से ब्रह्मांड अस्तित्व में आया है और सारी आत्माएं पूरे ब्रह्मांड में फ़ैल गई हैं, ब्रह्म (परमात्मा) चाहते हैं कि सभी आत्माएं वापस उनमें लीन हो जाएं | यह तभी संभव है जब मनुष्य आध्यात्मिक साधक बन कर्मों की पूर्ण निर्जरा करे जिसने आत्मा अपने पूर्ण शुद्ध रूप में वापस आ जाए |
सत्य के मार्ग पर चलते हुए, ब्रह्म में पूर्ण आस्था रखते हुए जब साधक निष्काम कर्मयोग के माध्यम से ध्यान में उतरता है और चिंतन करता है तो आध्यात्मिक प्रगति तेज हो जाती है | 12 वर्ष की अखंड तपस्या, ध्यान और ब्रह्मचर्य की जैसे ही पूर्ण हो जाती है – साधक निर्विकल्प समाधि की stage में पहुंच तत्वज्ञानी बन जाता है |
तत्वज्ञानी यानि जन्म और मृत्यु के चक्र/ बंधन से हमेशा के लिए छुटकारा | जैसे ही तत्वज्ञानी शरीर छोड़ेगा मोक्ष प्राप्त कर लेगा | अब free हुई आत्मा ब्रह्मलीन होने के लिए मुक्त है |
What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani