जीवन में सफलता (आध्यात्मिक) पाने के लिए निम्नलिखित कर्म आवश्यक हैं –
1.. जीवन में इस बात का अहसास कि जीवन तो एक ही है | जीवन वाकई में एक है – कैसे ? सनातन शास्त्र कहते हैं मनुष्य रूप में 11 लाख योनियां हैं | अगर इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में पूरा कर लेंगे | मेरे एक रिश्तेदार कहते थे जब 60 पार कर लूंगा तब अध्यात्म की दुनिया में पैर रखूंगा | 65 के हो गए तो मैंने एक बार टोका – कहने लगे अभी तो पोते पोतियों का करना है और फिर भी नहीं कर पाया तो अगला जीवन तो है ही |
और जीवन का अंत आ गया | हम इस जीवन में कर नहीं पाए और अगले में करनी की guarantee ? यहां अगले क्षण का मालूम नहीं मृत्यु कब चूम ले ! कर्मफल आधारित जीवन में – अगला जन्म अगर पाश्चात्य देश में लड़की के रूप में मिला तो क्या हम इस Christian लड़की से यह उम्मीद करेंगे कि वह सनातन शास्त्रों का पठन पाठन करेगी ? शायद बिल्कुल नहीं और अगर किया भी तो कितना समझ पाएगी ? तो ध्यान रहे आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए बस यही जीवन है |
2.. हम जीवन का लक्ष्य (goal) जल्दी ही निर्धारित कर लें – तभी हम उस लक्ष्य तक पहुंचने की चेष्टा करेंगे | इस धरती पर 99.99999 % लोग जीवन का एक fixed goal निर्धारित ही नहीं करते और जीवन प्रवाह में बहते रहते हैं और जीवन का अंत आ जाता है | जीवन में कामयाब होने के लिए एक गोल का होना अति आवश्यक है | गोल आध्यात्मिक हो या भौतिक – जीवन में सफलता के लिए एक लक्ष्य जरूरी है |
भौतिक जीवन में JRD Tata से ज्यादा सफल कोई इंसान नहीं | या तो हम JRD या रामकृष्ण परमहंस बनने की कोशिश करें | दोनों ही इंसानों का जीवन में लक्ष्य शुरू से ही fixed था |
3.. मैंने 5 वर्ष की आयु में भगवान की खोज में जाने का व्रत लिया | चाहे कुछ भी हो जाए – भगवान को इसी जीवन में जान कर रहूंगा और संभव हुआ तो मिलूंगा भी | जीवन लक्ष्य इतना साध लिया कि अक्सर ब्रह्म से कहा करता था अगर वेश बदलकर मुझे भटकाने की कोशिश करोगे तो भी लक्ष्य से नहीं भटकूंगा | 32 वर्ष की तपस्या सफल हुई और 37 वर्ष की आयु में ब्रह्म के साथ 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार !
जीवन में सफलता तभी मिली जब लक्ष्य छोटी उम्र में तय कर लिया | लेकिन लक्ष्य था तो सारी ताकत उसे प्राप्त करने में लगा दी |
What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani