जहां विज्ञान खत्म होता है अध्यात्म वहां शुरू होता है – कारण एक ही है | विज्ञान प्रूफ पर आधारित है – दिखाओगे तो मान लूंगा | अध्यात्म अनुभूति और आस्था पर आधारित है | हम भगवान के होने के चिन्ह हर भौतिक और आध्यात्मिक क्रियाओं में रोजाना देखते हैं | इतना ही नहीं, आध्यात्मिक साधक ब्रह्म में पूर्ण आस्था रखते हुए एक दिन अंततः ब्रह्म तक पहुंच उसमें लीन हो जाता है |
इसके विपरीत science भगवान के होने में विश्वास नहीं करती | कहती है – प्रूफ दिखाओ | साइंस ने भगवान के नजदीक आने की कोशिश की जब scientists ने Large Hadron Collider experiment में god particle ढूंढने का असफल प्रयास किया | मिलना कुछ नहीं था, साइंस कितने भी हाथ पैर मारे वे कभी भी भगवान के नजदीक फटक नहीं पाएंगे |
Experiments के द्वारा ब्रह्म को जानेंगे/ ढूंढेंगे – निहायत अज्ञानी लोग | जब प्रलय होगी, तब भी साइंस ब्रह्म के साम्राज्य के बारे में कुछ नहीं जान पायेगी |
वेद/ उपनिषद कितने सुंदर ढंग से Big Bang theory को पेश करते हैं और साइंस अध्यात्म से चुरा चुराकर पहला atomic bomb तैयार करती है | ऐसा खुद J. Robert Oppenheimer ने स्वीकार किया है, जिन्हें father of the atomic bomb भी कहा जाता है |
Relativity theory, law of gravity सब वेदों/ उपनिषदों से चुराई पद्धतियां हैं | Albert Einstein मरते समय भगवद गीता पढ़ने में लीन थे | जाते जाते कह गए – मुझे बेहद अफसोस कि मैं भगवद गीता में बचपन से न उलझ सका | अगर उलझ जाता – पता नहीं और क्या क्या चुराता – अज्ञानी |
How spiritual values can be taught in school? आध्यात्मिक ज्ञान क्या स्कूलों में पढ़ाया जा सकता है