इस जमाने की युवा पीढ़ी को वेद पुराण पढ़ने में रुचि नहीं ?


जो पीछे से आएगा वही तो हम सीखेंगे/ करेंगे | जो संस्कार माता पिता ने दिए वह हमारा आधार बनते हैं | लेकिन अगर ब्रिटिश Macauley जैसे लोग हमारी गुरुकुल (गुरु शिष्य) परंपरा को तहस नहस कर दें तो क्या ? एक ही दिन में लगभग 7,50,000 गुरुकुल बंद किए गए | और भ्रष्ट इंग्लिश एजुकेशनल प्रणाली भारतवर्ष पर थोप दी गई |

 

ब्रिटिश एजुकेशनल प्रणाली इंसान को टेक्नोलॉजी दे सकती है शिक्षा नहीं | भारतीयों को गुलाम बना सकती है कि वे मातृभूमि छोड़ US में जाकर बस जाएं | जो टेक्नोलॉजी के पीछे भाग रहा हो उसे भारतीय दर्शन शास्त्रों से क्या लेना देना ? उसे सिर्फ और सिर्फ pay package की चिंता होती है |

 

मैं 5 वर्ष की आयु से ब्रह्म की खोज में चला | कब IITR से engineering कर ली मालूम नहीं | शादी हुई पूरा परिवार है | लेकिन हर समय अंदर ही अंदर चिंतन चलता रहा | जब 12 वर्ष का था पिताजी बोले England जाना चाहता है | छोटा था, सुनकर अच्छा तो लगा और पिताजी से कहा जैसी आपकी इच्छा |

 

पिताजी ने यह बात इसलिए पूछी थी क्योंकि कुछ वर्ष पहले वह इंटरनेशनल एक्सपर्ट की हैसियत से (Govt of India के behalf पर) 2 वर्ष के लिए इंग्लैंड/ स्कॉटलैंड में रहकर आए थे | खैर पूछा जरूर था लेकिन भेजने की इच्छा नहीं थी | एक दिन मैंने पिताजी को मां से कहते सुना, स्कॉटलैंड की लड़कियां बेहद खूबसूरत होती हैं, वहां जाकर पढ़ाई क्या करेगा फंस जाएगा |

 

1977 में US में settle होने का मौका मिला | लेकिन तब तक मैंने निश्चय कर लिया था आचार्य रजनीश के रास्ते पर नहीं जाऊंगा | एक बेहद senior professor, US की टॉप University में मुझे लेने दो बार भारत आए | दूसरी बार अपने गुरुजी को भी लाए कि मुझे मना लेंगे | लेकिन देशभक्त विजय अब टस से मस नहीं होने वाला था |

 

एक दिन Chicago airport पर मिले – कहने लगे आ जाता तो US $ 2 billion का मालिक होता और फिर हंस कर कहने लगे तू पैसे के पीछे भागा ही कब है |

 

कहने का सार है – IIT से ग्रेजुएशन, मौके बार बार दस्तक दे रहे थे पर बाहर जाने का मन नहीं था | 1993 में ब्रह्म से 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार – सभी तो मिल गया | आने वाले वक्त में भारत को सोने की चिड़िया बना हमेशा के लिए फुर हो जाऊंगा |

 

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