वैराग्य


व्यक्ति को कब हर कार्य से मुक्त हो जाना चाहिए ?

अध्यात्म के रास्ते पर मनु ने ४ वर्णाश्रम की व्यवस्था बनाई है और आम साधक इसी भ्रम में रहता भी है कि ५० के पार वानप्रस्थ आश्रम शुरू हो जाता है और ७५ के बाद संन्यास | जब तक इंसान ७५ की देहलीज पर पहुंचता है, काम करते करते इतना थक चुका होता है कि अध्यात्म में जाने की इच्छाशक्ति […]


वैराग्य क्या है ?

एक आध्यात्मिक साधक जब निष्काम कर्मयोग की भावना से जग में कार्य करता है तो कर्म उसे बांधने की कोशिश करते हैं | भला फल की चिंता क्यों न हो या फल से चिंतामुक्त एकदम कैसे हों ? तो साधक वैरागी होने की कोशिश करता है |   वैराग्य यानि सांसारिक बंधनों से विरक्त होने की चेष्टा | मुश्किल तो […]