इंसान के जीवन में श्रीमद्भगवद्गीता का क्या महत्व है ?


ब्रह्म ने आत्माओं से आच्छादित संसार रचाया | जब ब्रह्माण्ड में धरती मां जैसे ग्रह उत्पन्न हुए जो जीवन ग्रहण करने के लिए समर्थ थे – तो आत्माओं ने शरीर धारण करना शुरू किया | 84 लाख योनियों के सफर में 73 लाख निम्न योनियों का जीवन (जैसे अमीबा, कीट पतंगे, पेड़ पौधे व पशु पक्षी) काटने के बाद आत्मा ने पहली बार मनुष्य का रूप धारण किया |

 

मनुष्य को गहरी सोच की क्षमता ब्रह्म ने प्रदान की | इंसान सोचने लगा (यानि चिंतन में डूब गया) कि आगे क्या ? इसी सोच ने मनुष्य को अन्वेषी बनाया यानि अंतर्मुखी | और अंततः तत्वज्ञानी ऋषि बने मनुष्यों ने सीधे ब्रह्म से वेदों का ज्ञान ग्रहण किया | वेदों को श्रुति ज्ञान कहा जाता है क्योंकि यह आध्यात्मिक संपदा सीधे ब्रह्म के मुंह से निकली थी |

 

अपने समय में वेद बेहद फैले हुए और विस्तृत थे – आम इंसान की पहुंच से बाहर ! काफी ऋषियों ने वेदों के अलग अलग सूत्रों को केन्द्रित कर उपनिषदों की रचना की | लेकिन उपनिषदों का ज्ञान भी इतना गहरा था – आम साधक तो क्या, पहुंचे हुए scholars भी उपनिषदों के सार को समझने में असमर्थ थे | तो अब क्या ?

 

महर्षि वेदव्यास का पदार्पण हुआ | सबसे पहले महर्षि वेदव्यास ने सभी वेदों को चार वेदों के तहत संग्रहित किया – ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद | फिर उन्होंने महाभारत महाकाव्य की रचना की | महर्षि चाहते थे कि वेदों और उपनिषदों का ज्ञान आम इंसान तक पहुंचे जिससे वह अध्यात्म में कदम रख तत्वज्ञानी हो सके |

 

इसी कारण हमारी परमप्रिय भगवद गीता महाभारत महाकाव्य का एक अंश बनी – एक ऐसा उल्लेख जिसे आम साधक आसानी से समझ सके और मोक्ष के द्वार तक पहुंच सके | श्रीमद्भगवद्गीता के 700 श्लोकों के द्वारा महर्षि वेदव्यास ने मोक्ष (मुक्ति – जन्म और मृत्यु के चक्र से) तक पहुंचने का रास्ता प्रशस्त किया |

 

गीतासार आप देखेंगे दुकानों में, offices में टंगा रहता है और आम जनता की समझ में भी आता है | सही ब्रह्मचर्य और ध्यान की तपस्या में मस्त जो साधक भगवद गीता का सार आत्मसात कर लेगा – वह इसी जन्म में रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण के level पर पहुंच ही जाएगा – यानि तत्वज्ञानी, आत्मज्ञानी ब्रह्मज्ञानी हो जाएगा |

 

भगवद गीता का इंसानों की जिंदगी में बस इतना ही महत्व है – जो समझ जाए वो ज्ञानी |

 

महर्षि वेदव्यास और महाभारत महाकाव्य का आध्यात्मिक सच | Vijay Kumar Atma Jnani

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