भारतीय दर्शन शास्त्रों जैसे वेद, उपनिषद् और भगवद गीता – इन सभी में न तो आज और न आने वाले समय में किसी भी तरह की मिलावट की गुंजाइश है | वजह साफ है | जहां से सारे ब्रह्माण्ड का ज्ञान आता/ उत्पन्न होता है – एक तत्वदर्शी ऋषि सम्पूर्ण ज्ञान नष्ट होने की स्थिति में श्रुति द्वारा सारे ज्ञान को दोबारा प्रकाशित कर देगा |
और भारत में हर 100~150 वर्षों में एक तत्वदर्शी ऋषि आ ही जाता है | रामकृष्ण परमहंस 1836 में आए और महर्षि रमण 1879 में | रामकृष्ण परमहंस ने 1886 में और महर्षि रमण ने 1950 में शरीर छोड़ा | दोनों तत्वज्ञानी उच्च level का तत्वज्ञान जनमानस को देकर गए | अब नंबर है खुद कल्कि अवतार के अवतरण का जो 2032 से पहले होगा |
मूल गीता सार संस्कृति में (सभी 700 श्लोक) आज भी गीताप्रेस, गोरखपुर से Rs. 5/= में उपलब्ध हैं |
2024 से 2032 तक का समय आध्यात्मिक दृष्टिकोण से | Vijay Kumar Atma Jnani