ब्रह्म ने संसार रचा – वेद आए, फिर उपनिषद और अंत में श्रीमद्भगवद्गीता | तीनों श्रुति ग्रंथों का मूल उद्देश्य एक ही है – मनुष्य को मोक्ष, मुक्ति के द्वार तक पहुंचाना | जब तक सूर्य से बंधी हर आत्मा 84 लाखवी योनि में नहीं पहुंच जाती – भगवद गीता ज्ञान हर मनुष्य को उपलब्ध रहेगा |
भगवद गीता ज्ञान समय से परे है – तभी आम आदमी की पहुंच से बाहर है | एक आत्मा को मनुष्य रूप में 1 करोड़ वर्ष की अवधि मिलती है ज्ञान प्राप्ति, मोक्ष तक पहुंचने के लिए (11 लाख योनियों का सफर) | हर योनि में भगवद गीता ज्ञान यूं ही उपलब्ध रहेगा |
करोड़ों वर्षों के अंतराल के बाद भी भगवद गीता ज्ञान में रत्ती भर भी फर्क नहीं आएगा | सूर्य से बंधी आत्माओं को मुक्ति द्वार तक पहुंचने में अभी करोड़ों वर्ष बाकी हैं |
सिर्फ इतना ही नहीं – कृष्ण, महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस और महर्षि रमण हजारों नहीं, लाखों नहीं बल्कि करोड़ों वर्षों तक उतने ही प्रासंगिक रहेंगे जितने कि आज हैं |
इंसान की सबसे बड़ी त्रासदी यही है – सही ज्ञान पाने की चिंता नहीं – व्यर्थ के प्रश्नों में उलझे रहो !
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar