सकारात्मक सोच


तीर्थयात्रा कर लें चाहे गंगा या महाकुंभ में स्नान – अगर मन का मैल नहीं गया तब क्या ?

मानव जीवन में यह बात सोलह आने सच है कि अंदरूनी मन की सफाई अंदरूनी सफर से ही होगी यानि हमें अध्यात्म में सकारात्मक सोच के साथ उतरना होगा | बैठ कर शांत भाव से सोच कर देखें – सफाई आत्मा की होनी है जो क्लेशों से घिरी हुई है न कि बाहरी शरीर की |   गंगाजी में नहाने […]


इंसान की कीमत क्या है ?

इंसान की कीमत उतनी ही है जितनी उसकी सोच | अगर हमारी विचारधारा एक राजा तुल्य है तो हमें राजा बनने से कोई रोक नहीं सकता | अगर हमारे विचारों में पहले स्वामी विवेकानंद और फिर रामकृष्ण परमहंस बनने का सपना तैर रहा है तो संभव है हम इसी जन्म में रामकृष्ण परमहंस बन कर उभरें | अगर हमारा सपना […]


अंत मति सो गति – अंत मति कैसी होनी चाहिए ?

सनातन शास्त्रानुसार कहा जाता है – जैसा मन वैसा फल | कहने का तात्पर्य है – जैसे हम विचारते है वैसी ही गति हमें प्राप्त होती है | अगर हम सुविचारेंगे तो पुण्य कार्य में लिप्त होंगे और फल भी मीठा ही होगा | कुविचार हमें पाप कर्म की ओर ढकेलते हैं और फल भी negative होगा |   जीवन […]


आज का दिन अच्छा जाएगा या बुरा – कौन तय करता है ?

एक कर्मकांडी जो पहले से ही नकारात्मक विचारों में डूबा है – उसके साथ बुरा न हो जाए आदि विचारों से हर पल घबराया सा रहता है | आम इंसान इसी category में आता है | इसके विपरित सकारात्मक सोच रखने वाला इंसान – परिस्थिति कैसी भी हो घबराता नहीं | क्यों ? क्योंकि उसे खुद से ज्यादा भगवान पर […]