एक कर्मकांडी जो पहले से ही नकारात्मक विचारों में डूबा है – उसके साथ बुरा न हो जाए आदि विचारों से हर पल घबराया सा रहता है | आम इंसान इसी category में आता है | इसके विपरित सकारात्मक सोच रखने वाला इंसान – परिस्थिति कैसी भी हो घबराता नहीं | क्यों ? क्योंकि उसे खुद से ज्यादा भगवान पर भरोसा है | भगवद गीता में श्रीकृष्ण कहते भी हैं – जो होगा वह अच्छे के लिए ही होगा | हमें फल तो खुद के द्वारा किए कर्मों के ही मिलते हैं – कर्म चाहे इस जन्म के हों या किसी पूर्व जन्म के |
अगर हम अपनी सोच हर समय सकारात्मक (positive) रक्खें तो निश्चय ही सब परिस्थितियों में अच्छा ही होगा | हर समय सम भाव में रहना ही कृष्णत्व है जिसे हर इंसान हर समय practice में ला सकता है | सोच कर देखें – जो लोग corona virus से बच गए वह सब सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति ही थे – जिस कारण उनकी मानसिक स्थिति संतुलित थी और immunity असीम | सम भाव में रहने वाला इंसान junk food कम खाता है और शरीर को भी तंदरुस्त रखता है |
अगर आप जीवन में हमेशा successful रहना चाहते हैं तो सकारात्मक सोच का चोला हमेशा पहने रक्खें – असफलता आप को छू भी नहीं पाएगी | सिर्फ दिन ही नहीं – हर पल हर दिन उमंगों और जोश से भरा होगा | खुद की तो सोचे ही – अन्यों की भी करें | भगवान तभी खुश होते हैं जब हम औरो के लिए जीना सीख लें | JRD Tata का मूल मंत्र क्या था – दूसरों के लिए जीना | JRD एक पल भी खुद के लिए नहीं जिए – वह जीते ही दुनिया के लिए थे – एक प्रकांड कर्मयोगी |
हर इंसान के अंदर JRD Tata या राजा जनक बनने का बीज शुरू से मौजूद है | यह हम पर निर्भर है हम राह कौन सी चुनें – भौतिक जीवन या राजा जनक वाला आध्यात्मिक जीवन ! सफलता दोनों ही रास्तों पर मिलेगी – बस सकारात्मक सोच में हर समय व्याप्त रहना होगा | इसी सकारात्मक सोच को english में positive affirmations कहा गया है | अगर हम हर क्षण positivity में व्याप्त रहते हैं तो इस जन्म में हमें अपने गंतव्य तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता |
Positivity यानि सकारात्मक सोच में व्याप्त इंसान को पूरी कायनात एवम् भगवान (ब्रह्म) पूरी तरह support करते हैं | राजा और रंक में पता है फर्क किस चीज का होता है – positivity का | सिर्फ और सिर्फ सकारात्मक सोच का | आप में और JRD Tata में फर्क सिर्फ सकारात्मक सोच का है – है न कौतूहल की बात ! गलत नहीं कहा रहा हूं – किसी भी सफल इंसान से पूछ कर देख लीजिए | 70~80 वर्ष की जिंदगी में नकारात्मक विचारों का समय ही कहां है – लेकिन हर इंसान हर समय डूबा ही नकारात्मक विचारों में है |
मैंने जब 5 वर्ष की आयु में आध्यात्मिक सफर शुरू किया – क्या मालूम था कहां तक पहुंचूंगा ? लेकिन 37 वर्ष की अवस्था में ब्रह्म से भेंट हो ही गई – वह भी 2 1/2 घंटा ! 5 वर्ष की आयु से 37 वर्ष की आयु तक सकारात्मक विचारों में डूबा रहा – एक भी नकारात्मक विचार अंदर घुसने नहीं दिया | दिक्कतें तो बहुत आयी पर हिम्मत नहीं हारी | जुनून था इसी जन्म में ब्रह्म से मिलना है और ब्रह्म की कृपा से सब हो गया | ब्रह्म से साक्षात्कार यानि जीवन मरण के चक्र से हमेशा के लिए मुक्ति |
हर साधक को – चाहे उसका जीवन लक्ष्य आध्यात्मिक है या नहीं याद रखना चाहिए कि गाय या कुत्ते को रोटी खिलाने से हमारा भाग्य नहीं बदलता – ज्योतिषाचार्य कुछ भी कहें | जीवन सिर्फ और सिर्फ सकारात्मक विचारों से गढ़ता है | जीवन में एक बार पूर्ण सकारात्मक विचार धारण करके तो देखें – जीवन का रुख ही पलट जाएगा | Minus से Positive होने के लिए विवेक का इस्तेमाल आवश्यक है – बस एक बार कोशिश अवश्य करें |
What is Yoga and its benefits? योग का महत्व | Vijay Kumar… the Man who Realized God in 1993