सत्य के मार्ग पर चलना कठिन तो है असंभव नहीं | 5 वर्ष की आयु में मालूम नहीं था सत्य क्या होता है लेकिन भगवान को ढूंढने निकल पड़ा | दूसरी कक्षा में मास्टरजी ने किसी बात पर दंड दिया और कहा ये पंक्तियां 500 लिख कर लाना | पंक्तियां थी – सच बराबर तप नहीं – झूठ बोलना पाप है |
घर जाकर लिखना शुरू किया – यह लिखकर कि सच बराबर तप नहीं, इतना ज्यादा अच्छा लग रहा था कि मैंने 500 नहीं पूरे 1000 बार लिखकर कॉपी मास्टरजी को दे दी | मास्टरजी मेरा चेहरा काफी देर तक देखते रहे – उन्हें शायद लग रहा था – पप्पू (बचपन का स्कूल का नाम) 500 बार क्या लिखेगा ?
अगले दिन मास्टरजी के चेहरे पर 500 वॉट बल्ब की चमक | मुझे देखते ही सर पर हाथ फेरा और प्यार से बोले मैंने तो 500 बार कहा था, 1000 बार क्यों लिखा ? मुझे अन्दर से लगा मैंने सही किया | जब लोगों से इन पंक्तियों का मतलब पूछा तो एक ने कहा दुनिया में जो सबसे बड़ी ताकत है वो सत्य की है | बस फिर क्या था मैंने मन में तय किया – कुछ भी हो जाए सत्य का मार्ग नहीं छोडूंगा |
आज 60 वर्ष से ज्यादा हो गए जब वह लाईनें लिखी थी – सत्य वाकई दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है | यह सत्य ही तो है जिसकी राह पर चलकर 1993 में 37 वर्ष की आयु में ब्रह्म का 2 1/2 घंटे साक्षात्कार हुआ |
Power of Absolute Truth | अध्यात्म में सत्य का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani