सत्संग


सत्संग से हम क्या समझते हैं ?

भगवान की खोज में जब हम अध्यात्म में उतरते हैं तो किताबी ज्ञान से काम नहीं चलता | चिंतन करने के बावजूद कई प्रश्नों के उत्तर जब अथक प्रयासों के बाद भी नहीं मिलते तो बस सत्संग का ही सहारा रह जाता है |   सत्संग यानि ऐसे साधकों का समूह जो भगवान को खोजने की चेष्टा में लीन हैं […]


मन सत्संग में आने से क्यों भागता है ?

सत्संग सत्य के नजदीक आने का जरिया है जबकि मन इन्द्रियों पर आश्रित भोग विलास की ओर ले जाता है | सच्चा सत्संग वह होता है जहां एक जैसी आध्यात्मिक प्रवत्ति के 2 से ज्यादा लोग आपस में विचार विमर्श करते हैं और सही छिपे तत्व तक पहुंचने की कोशिश करते हैं | सत्संग कभी भी एक तरफा प्रवचन का […]


विभिन्न शास्त्रानुसार सत्संग का क्या महत्व है ?

सत्संग शब्द सिर्फ और सिर्फ भारतीय शास्त्रों तक निहित है | पाश्चात्य जगत या अन्य धर्मों में सत्संग का कोई महत्व नहीं | भारतीय दर्शन अनुसार सत्संग आध्यात्मिक जगत की ऐसी प्रणाली है जिसके अधीन होकर कुछ साधक आपस में बैठकर अध्यात्म के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डालते हैं और विषय के छिपे मर्म तक पहुंचने की कोशिश करते हैं […]


सत्संग में जाने से कैसे आध्यात्मिक लाभ होता है ?

जाने से नहीं, सत्संग में बैठने से अत्यंत आध्यात्मिक उन्नति संभव है | सत्संग यानि 2 से 6 लोगों के बीच विचारों का आदान प्रदान और अध्यात्म के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा, चिंतन एवं मंथन | सभी को मिलकर एक particular विषय के मर्म तक पहुंचना होता है – जितना जल्दी पहुंच जाएं | यह संभव हो पाता है […]


सत्संग कैसे प्रभावित करता है ?

अगर साधक एकांत में बैठकर चिंतन मनन करे तो कुछ गलत नहीं – लेकिन क्या एकांत में चिंतन मनन करना इतना आसान है ? इतिहास में महावीर 12 साल के चिंतन मनन में उतरे एक टीले पर खड़े होकर और यही काम सिद्धार्थ गौतम ने बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर किया | जब एक आम इंसान पहली बार चिंतन में […]


सत्संग कैसे मन का मैला दूर करता है ?

हम मनुष्य आखिर कौन हैं ? हमारा अपना स्वतंत्र अस्तित्व तो है नहीं ! जब तक आत्मा ने शरीर धारण कर रखा है और दिल धड़क रहा है तो हम जीवित हैं लेकिन जिस दिन आत्मा ने शरीर त्याग दिया – खेल खत्म – हमारा अस्तित्व हमेशा हमेशा के लिए zero हो जाएगा | आत्मा ने अपने अंदर व्याप्त अशुद्धियों […]


सही रास्ता क्या है – बच्चे संभालें या आत्म कल्याण के लिए सत्संग में जाएँ ?

जीवन के हर पल इंसान दो जिंदगी जीता है | एक अपनी मैं पर आधारित भौतिक जिंदगी और बच्चों का पालन पोषण उसी का हिस्सा है | दूसरी अंदरूनी जिंदगी जो उसे ब्रह्म की ओर खींचती है और इस राह पर चलने के लिए अध्यात्म का सहारा लेना पड़ता है | सत्संग इसी आध्यात्मिक जीवन का part है | मैंने […]


सत्संग हृदय में सत् को दृढ़ कर असत् को कैसे मिटाता है ?

सत्संग में हमें क्या करना होता है ? मूलतः सत्संग धार्मिक और आध्यात्मिक लोगों की जागीर है – अध्यात्म की ज्यादा | सत्संग करने का मतलब हुआ जब आध्यात्मिक प्रवत्ति के कुछ साधक इकट्ठे होकर आपस में किसी भी आध्यात्मिक विषय पर गहन चिंतन करें | जब आपस में विचारों का आदान प्रदान होगा तो कुछ प्रश्नों का समाधान भी […]


सत्संग में सत् का अर्थ क्या होता है – सत्संग हेतु साधु या संत होना आवश्यक है क्या ?

सत्संग यानि सत का संग यानि मनुष्य जब बैठकर आपस में सत्य की विवेचना करे – सत्य पर पहुंचने की कोशिश करे | सत्संग यानि 2 से 6 लोग आपस में चिंतन/ मनन द्वारा सत्य के मार्ग पर चलते हुए तत्व या कहें छिपे हुए मर्म तक पहुंचने की कोशिश करें | कोई भी इंसान जिसकी अध्यात्म में रुचि है […]


सत्संग में नींद क्यों आती है ?

सत्संग में नींद आने का मूलभूत कारण एकतरफा प्रवचन है | जो बातें अधिवक्ता/ ज्ञानी पुरुष बोल रहा है उसमे कुछ पल्ले पड़ रही हैं, ज्यादातर नहीं | ऐसे में सोएंगे नहीं तो और क्या करेंगे ? एकतरफा सत्संग के कोई मायने नहीं | सत्संग में 2 से 6 व्यक्ति seriously आपस में विचार विमर्श करते हैं और सत्य पर […]


सत्संग सुनने से क्या लाभ होता है ?

सत्संग कभी सुना नहीं जाता – किया जाता है | जब 2 से 6 लोग जिनकी रुचि लगभग समान है आपस में बैठ कर सत्संग करते हैं तो विचारों का आदान प्रदान होता है | जिस topic पर चर्चा हो रही है उसके विभिन्न पहलुओं को टटोला जाता है और सत्य पर पहुंचने की कोशिश की जाती है क्योंकि सत्य […]


लाखों लोग सत्संग सुन रहे हैं फिर भी उनकी आंतरिक स्थिति नहीं बदली क्या वजह है ?

सत्संग वो नहीं जो लोग आजकल समझते और करते हैं | सत्संग हमेशा एकांत में 4 से 6 लोगों के बीच होता है | सत्संग यानि आध्यात्मिक विचारों का आदान प्रदान | अपने अंदर उमड़ते प्रश्नों का उत्तर ढूंढ़ना ही सत्संग है | सत्संग वो नहीं जहां हजारों लाखों की भीड़ और उत्तर देने वाला कोई नहीं | आजकल के […]


सत्संग क्यों जरूरी है ?

सत्संग सिर्फ उन्हीं के साथ किया जा सकता है जिनकी सत्य में रुचि हो अन्यथा सत्संग करने के कोई मायने नहीं | पहले समय में यह प्रथा गुरुकुलों में स्थापित थी जहां कुछ शिष्य एक ही विषय पर साथ बैठकर विचार विमर्श करते थे यानि सत्संग करते थे | सत्संग करने के पीछे अभिप्राय होता था छिपे मर्म तक पहुंचना […]


सच्चा सत्संग क्या होता है कैसे होता है ?

बचपन में जब सत्संग करने की इच्छा होती तो कोशिश करता मेरे जैसा सोचने वालों का साथ मिल जाए तो बैठ कर आध्यात्मिक चर्चा कर सकूं | कोई नहीं मिला | मैं पूर्ण सत्य के मार्ग पर चलता था और औरों से भी यही उम्मीद रखता था |   सत्संग का मतलब तो यही है – सत्य की राह पर […]