समुद्र मंथन


समुद्र मंथन की घटना का आध्यात्मिक अर्थ क्या है ?

हर मनुष्य धरती पर पैदा हो तो जाता है लेकिन मुक्ति कब मिलेगी – मोक्ष कब होगा नहीं मालूम | अध्यात्म में आगे बढ़ते हुए धीरे धीरे मालूम चलता है यह मनुष्य शरीर हमारी अपनी आत्मा ने धारण किया है | आत्मा चाहती है उसे पुराना शुद्ध रूप जल्दी से जल्दी वापस मिल जाए | लेकिन कैसे ? आध्यात्मिक सफर […]


समुद्र मंथन किन किनके बीच हुआ था ?

समुद्र मंथन देवों और दैत्यों के बीच हुआ था | आध्यात्मिक दृष्टि में देव कौन होते हैं और असुर कौन ? हर मनुष्य के अंदर हर समय सकारात्मक और नकारात्मक विचारों के बीच मंथन होता रहता है | तो देव हुए सकारात्मक विचार और दैत्य नकारात्मक विचार | जब सकारात्मक और नकारात्मक विचार आपस में गुत्थम गुत्था होते हैं तो […]


समुद्र मंथन किस स्थान पर हुआ था ?

समुद्र मंथन एक आध्यात्मिक गाथा है जिसके द्वारा मनुष्य को यह समझाने की कोशिश की गई है कि जीवन में मोक्ष पाने के लिए कैसे positive विचारों में व्याप्त होना पड़ेगा | साथ साथ अखंड ब्रह्मचर्य का पालन कर अमृत को कुण्डलिनी में ऊर्ध्व करना होगा – तभी चक्र जागृत होंगे और सहस्त्रार खुलेगा |   हर मनुष्य हर समय […]


आत्मा अमर है फिर अमृत मंथन क्यों किया गया ?

आत्मा अनादि अमर है लेकिन अपने ब्रह्मांडीय सफर में अशुद्धियां ग्रहण कर लेती है | खुद शुद्ध हो नहीं सकती इसलिए शरीर धारण करती है | यह समुद्र मंथन ही है जिसको समझकर एक आध्यात्मिक साधक ध्यान में चिंतन के माध्यम से उतर जाता है और अंततः आत्मज्ञानी बन जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए बाहर निकल […]


सागर मंथन में मथानी और रस्सी का प्रयोग क्या-क्या चीज से किया था ?

भारतीयों शास्त्रों में सागर मंथन का किस्सा इसलिए दर्शाया गया है कि मनुष्यता को positive रहने की महत्ता को समझाया जा सके | हर मनुष्य हर वक़्त दोनों positive और negative विचार ग्रहण (invoke) करता है |   Positive विचार अमृत बनाते हैं और उस शक्ति को मूलाधार में इकट्ठा कर देते हैं | negative विचार विष बनाते हैं और […]


समुद्र मंथन का अभिप्राय तथा इसके पीछे का दर्शन क्या है ?

जब से मानव सभ्यता अस्तित्व में आयी है ब्रह्म ने श्रुति के द्वारा ऋषियों को समुद्र मंथन की गाथा दी | भारतीय दर्शन शास्त्र कहते हैं मनुष्य के जीवन का लक्ष्य है जन्म और मृत्यु से आत्मा को हमेशा के लिए मुक्त कर देना | इसके लिए मनुष्य को तत्वज्ञान और फिर मोक्ष प्राप्त करना होगा | यह संभव हो […]