सिद्ध गुरु तक कैसे पहुंचें ?


आज भगवान कृष्ण आकर हमारे साथ घर में रहने लगें और साल भर रहें – तो जानते हैं क्या होगा ? प्रभो धन्य भाग हमारे जो आप हमारे घर पधारे – प्रभु हम तो धन्य हो गए – प्रभु न जाने किस जन्म में कौन से अच्छे कर्म किए होंगे जो आप हमारे घर पधारे इत्यादि | ज्ञान की एक भी बात नहीं होगी क्योंकि हमारी सामर्थ नहीं न हमारा interest है |

 

धार्मिक प्रपंचों में रुचि रही, है और आगे भी रहेगी ? हमे ज्ञान वगैरह से क्या लेना देना | कोई सिद्ध गुरु मिल जाए, सिर पर हाथ रख, या शक्तिपात के द्वारा कुछ दे दे तो ठीक | हमने तो कभी कुछ करना नहीं है – करना तो गुरु ने है, तभी तो गुरु को ढूंढ रहे हैं | आम इंसान की अध्यात्म में बस इतनी ही रुचि है | और इसी बात का आजकल के महाज्ञानी गुरु फायदा उठा रहे हैं |

 

अध्यात्म चीख चीख कर बार बार कहता है गुरु की कोई आवश्यकता नहीं होती लेकिन सुने कौन ? अध्यात्म की journey अंदर की ओर जाती है – हृदय में जहां आत्मा विराजमान है | वह सफर हमें खुद ही करना है – इसमें बाहरी मदद क्या करेगी ? ध्यान और ब्रह्मचर्य की तपस्या अकेले ही तो करनी होगी – घर के लोग भी मददगार नहीं |

 

Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani

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