अगर ईश्वर है तो उनको हमारा दुःख दिखाई सुनाई क्यों नहीं देता ?


जब हमारा पैर चींटीयों पर पड़ जाता है, तो क्या हम दुख मानते हैं ? चींटियों पर क्या गुजरती होगी – क्या हमने सोचा है ? उनमें एक चींटी तो दादी थी – पूरा घर परिवार बिखर गया | यहां खुद भगवान हमारे हृदय में बैठे हैं सारथी के रूप में, हमें हर पल गाइड करने के लिए, लेकिन हम अपनी पिनक में, अपने अहंकार के कारण उसकी आवाज़ सुनना ही नहीं चाहते |

 

हृदय से आती कृष्ण की आवाज़ सिर्फ और सिर्फ सत्य के मार्ग पर चलकर सुनी जा सकती है, अन्यथा नहीं | 5 वर्ष की आयु से अध्यात्म की राह में एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि मैंने हृदय से आती ब्रह्म की आवाज़ को नजरंदाज किया हो | हां, भौतिक जगत में, परिवार के साथ रहते हुए बहुत बार आवाज़ पर ध्यान नहीं दिया, नुकसान हुआ |

 

जब से धरती बनी और मनुष्य existence में आए – सिर्फ और सिर्फ धर्म और कर्म के सहारे जीवन चलता है | प्रभु तो दृष्टा की भांति काम करता है | कहता है – जैसा करोगे वैसा भरोगे |

 

अगर इस जन्म में हम तड़फ रहे हैं या परेशानियों ने हमें घेर रखा है तो इसका कारण हमारे पिछले जन्मों के कर्म हैं | इसमें भगवान का क्या दोष ? ऊपर से हमारा भगवान पर विश्वास – अगर ईश्वर हैं, हमें जानवर के समकक्ष ला खड़ा करता है | हम सबसे उच्च योनि में स्थापित हैं फिर भी भगवान के होने में शक ? ऐसा शक्की इंसान दुखी नहीं होगा तो और कौन ?

 

मेरा ब्रह्म के ऊपर 5 वर्ष की आयु से अटूट विश्वास है या कहिए आस्था 100% है, इतनी कि ब्रह्म खुद वेश बदल मुझे रास्ते से भटकाने की कोशिश करें तो भी मेरा विश्वास डगमगाएगा नहीं | हमे कर्म theory को भलीभांति समझ जीवन में आगे बढ़ना चाहिए | अगर आज दुख हमें घेरें हैं तो निकलने का एक ही रास्ता है – हर समय पुण्य कर्म में लगे रहें |

 

What Karma really means? कर्म का वास्तव में क्या अर्थ है? Vijay Kumar Atma Jnani

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