पुराणों में/ धार्मिक पुस्तकों में न जाने क्या क्या पढ़ने को मिलेगा | इसीलिए अध्यात्म की राह पर चलते साधक को एक भी पुराण एक बार भी नहीं पढ़ना चाहिए | जब तक 37 वर्ष की आयु में ब्रह्म से साक्षात्कार हुआ, मैंने एक भी पुराण को हाथ भी नहीं लगाया | घर में सभी पुराण गीताप्रेस, गोरखपुर के रखे थे और एक दिन एक परिचित ने कहा तुम तो पढ़ते नहीं हो मुझे दे दो – मैंने जितने भी पुराण थे सभी उन्हें दे दिए |
धीरे धीरे मैंने चिंतन के माध्यम से जाना – पुराणों की कहानियों के पीछे कोई मर्म छिपा होता है – हमें उस सार तक पहुंचना होता है | लेकिन हकीकत में मैंने 60 साल के आध्यात्मिक जीवन में एक भी साधक को पीछे छिपे मर्म तक पहुंचते नहीं देखा – क्यों ? कोई चिंतन में उतरना ही नहीं चाहता तो मर्म तक पहुंचेगा कैसे ? सभी ऊपर ऊपर गोता लगा रहे हैं – नीचे गहरे पानी में कोई जाना ही नहीं चाहता |
आत्मा का खुद का temperature 1 करोड़ degrees Celsius से ज्यादा होता है, उसे कोई तेल में क्या तपाएगा ?
जब कभी matching parents धरती पर उपलब्ध न हों और Negative karmic balance के कारण आत्मा को नर्क में वास करना पड़ता है तो वह तड़पती है – इस बात का तात्पर्य सिर्फ इतना है कि जिस आत्मा का temperature 1 करोड़ degrees Celsius से ज्यादा हो और उसे नर्क के लगभग 15,000 degrees Celsius में रहना पड़े तो भयंकर ठंड तो लगेगी ही |
What is Swarg Narak | स्वर्ग नरक कहां हैं | Vijay Kumar Atma Jnani