ब्रह्माण्ड में व्याप्त और सूर्य के गुरूत्वाकर्षण से बंधी सभी आत्माएं सूर्य के गर्भ में स्थित हैं और कहीं आती जाती नहीं | वहीं से वे धरती पर स्थित शरीर (जीव) को संचालित करती हैं |
धरती पर मां के गर्भ में जब शिशु आ जाता है तो सूर्य के गर्भ में स्थित आत्मा remote control से switch ON कर देती है और बच्चे का दिल धड़कने लगता है | बड़े होकर जब मनुष्य मृत्यु को प्राप्त होता है, आयु पूरी हो जाती है तो आत्मा switch OFF कर देती हैं और आत्मा free (release) हो जाती है |
अब मृत्यु के समय के karmic index के basis पर आत्मा ढूढ़ती है ऐसे माता पिता को जो matching karmic index रखते हों | अगर matching parents धरती पर उपलब्ध हैं तो वह आत्मा तुरंत नया जीवन शुरू का देती है नए शिशु के रूप में |
अगर matching parents उपलब्ध नहीं तो आत्मा स्वर्ग में इंतजार करती है – तब तक जब तक धरती पर मैचिंग पैरेंट्स उपलब्ध न हों जाएं | स्वर्ग और कहीं नहीं – सूर्य के गर्भगृह को कहते हैं जहां आत्माएं आनंद से विश्राम करती हैं | सूर्य में जो ताप है – उसका कारण गर्भ में स्थित आत्माएं हैं |
आत्मा स्वर्ग में उसी स्थिति में विश्राम करती है गर मृत्यु के समय karmic index positive यानि पुण्य हो | अगर karmic index negative है (यानि पाप कर्मों का बोझ ज्यादा है) तो आत्मा को नरक में जगह मिलती है यानि सूर्य की सतह पर |
आत्मा का normal temperature करोड़ों degrees centigrade है | अगर उसे सूर्य की सतह पर रहना पड़े तो सोंचें ठंड से क्या हालत होगी – इसलिए कहते हैं नरक पीड़ा का स्थान है | दोनों स्वर्ग और नरक सूर्य में स्थित हैं |
तो ध्यान रहे आत्मा कहीं आती जाती नहीं, बस जीव की मृत्यु के बाद या तो नया शरीर धारण करती है और matching parents न मिलें तो स्वर्ग और नरक में hibernate करती है | Hibernate करती आत्मा को जैसे ही धरती पर matching parents मिल जाते हैं वह तुरंत नया शरीर धारण कर लेती है |
What is Swarg Narak | स्वर्ग नरक कहां हैं | Vijay Kumar Atma Jnani