स्वर्ग और नर्क का विचार मानव जीवन के उद्देश्य अस्तित्व से कैसे जुड़ा है ?


स्वर्ग और नर्क ब्रह्म की स्थापित विधियां हैं | इंसान की मृत्यु के बाद जब matching parents धरती पर उपलब्ध नहीं हों तो आत्मा कहां जाए ? इसी बात को मद्देनजर रखते हुए ब्रह्म ने स्वर्ग और नर्क की रचना की |

 

Matching parents उपलब्ध न होने की स्थिति में आत्मा स्वर्ग या नर्क में सीतनिद्रा या शीतनिष्क्रियता (hibernation) की स्थिति में इंतज़ार करती है, जब तक धरती परmatching parents उपलब्ध नहीं हो जाते |

 

जैसे ही matching parents उपलब्ध हो जाते हैं, hibernating आत्मा तुरंत नया शरीर धारण कर लेती है | और ये सिलसिला चलता रहता है | अध्यात्म में स्वर्ग और नर्क की उपरोक्त के अलावा और कोई मान्यता नहीं |

 

अध्यात्म में धार्मिक अनुष्ठानों की कोई जगह नही | न तो ब्रह्म ही स्वर्ग में रहते हैं और न ही exist करता है इंद्रदेव का साम्राज्य |

 

What is Swarg Narak | स्वर्ग नरक कहां हैं | Vijay Kumar Atma Jnani

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