ब्रह्म ने आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए मनुष्यों के लिए 11 लाख योनियों का सफर निमित्त किया है | अब यह हम पर निर्भर है हम किस योनि में आत्मज्ञान प्राप्त कर लें |
ज्यादातर मनुष्य इस भ्रम में रहते हैं कि इस योनि में नहीं तो अगली में कर लेंगे | कौनसी अगली ? इस जन्म में क्षत्रिय कुल में पैदा हुए और मौका था अध्यात्म में उतरने का लेकिन किसी कारणवश टाल गए | अगले जन्म में हमारी आत्मा ने Europe में एक Christian बाला का रूप धारण किया | तो क्या आप इस Christian लड़की से यह उम्मीद रखेंगे की वह सनातनी बन अध्यात्म के रास्ते पर चलकर आत्मज्ञान प्राप्त करे ?
हमारे लिए जीवन एक ही है – आत्मा के लिए लाखों होंगे ! हमे जो भी कोशिश करनी है वह इसी जन्म में करनी है | 8 वर्ष की आयु में जब मैं इसी उधेड़बुन में फंसा था तो ब्रह्म के पूछने पर – क्या तय किया – मेरे मुंह से निकला – इसी जन्म में आपकी खोज में जाऊंगा और आपको पाकर रहूंगा | 5 वर्ष की आयु में ब्रह्म की खोज में निकला और 37 वर्ष की अवस्था में ब्रह्म से 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार |
जब में 8 1/2 वर्ष का था तो मेरे पास एक दिन का समय था प्रभु को हां या न कहने का | मुझे लगा इस जीवन में कर लिया तो ठीक – अगले जन्मों की कौन जाने ? अचानक से लिए इस decision ने मेरी पूरी जिंदगी की राह ही मोड़ दी | कब IIT से engineering की, शादी हुई, परिवार बड़ा हुआ – सब निमित्त के तहत होता गया |
ब्राह्म जगत की अपनी जिम्मेदारियां थी और ब्रह्म की खोज में अंदरूनी सफर की अपनी – दोनों साथ साथ चलते रहे |
Right Age to start a Spiritual Journey | आध्यात्मिक ज्ञान लेने की सही उम्र | Vijay Kumar Atma Jnani