बचपन में जब से हम होश संभालते हैं, अगर हम सत्यवादी हैं तो हृदय से आती आत्मा की आवाज को बखूबी सुन सकते हैं | मै ५ वर्ष की आयु से इस आवाज को बिल्कुल स्पष्ट सुन सकता था | शुरू में मालूम नहीं था कौन बोल रहा है, मैं इसे भगवान की आवाज समझता था | जैसे जैसे मैं अध्यात्म के मार्ग पर आगे बढ़ा, मुझे लगा यह आवाज समय समय पर मेरी मदद कर रही है | कहीं खतरा होता तो आभास करा देती |
जिस दिन यह पक्का आभास हो गया कि यह आत्मा की आवाज है मैंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा | गीताप्रेस की कुछ टीकाओं में चित्र देखकर यह भी दृढ़ विश्वास हो गया कि हृदय से आती यह आवाज़ कृष्ण की है |
अंततः कुछ विश्लेषण के अंततोगत्वा यह सिद्ध हो गया कि सारथी तो बचपन से हृदय में स्थित है, बस मदद लेने की जरूरत है | और finally यह साबित भी हो गया कृष्ण, सारथी के रूप में और कोई नहीं, हृदय से आती हमारी आत्मा की आवाज हैं |
जब तक १९९३ में ३७ वर्ष की आयु में ब्रह्म का साक्षात्कार नहीं हो गया, मुझे भगवद गीता एक बार भी पढ़ने की जरूरत नहीं हुई | पूरी भगवद गीता का सारांश मेरी आत्मा ने खुद ही दे दिया |
Listen to Inner Voice coming from within our Heart | हृदय से आती आवाज को सुनना सीखें | Vijay Kumar