अपनी अंतरात्मा से जुड़ने का आध्यात्मिक तरीका क्या है ?


अगर हम अपनी अंतरात्मा से जुड़ना चाहते हैं तो हमें सिर्फ और सिर्फ सत्य का मार्ग पकड़ना होगा – एक बार भी झूठ का सहारा न लेने की पक्की कसम | जब से हमने जन्म लिया – एक भीनी सी आवाज़ हमें हृदय स्थल से आती महसूस होती है लेकिन हम आमतौर पर इस आवाज़ को अनसुना कर देते हैं – यह सोचकर न जाने कौन बात करने की कोशिश कर रहा है |

 

जैसे जैसे बड़े होते हैं यह हृदय से आती आवाज़ तीव्र होती जाती है लेकिन हम फिर भी इस आवाज़ को अनसुना कर देते हैं | धीरे धीरे यह आवाज़ फीकी पड़ जाती है और अंततः हृदय से कोई आवाज़ सुनाई ही नहीं देती | अब हमारी मैं (अहंकार) पूर्ण control में है | इस आवाज को दोबारा तभी सुना जा सकता है जब हम अपने चित्त पर पड़े झूठ के आवरण को हटा दें |

 

अध्यात्म चीख चीख कर कहता है सत्यमार्गी बनों लेकिन अंतरात्मा की आवाज सुनता कौन है ? अगर हम सच में आध्यात्मिक होना चाहते हैं तो सत्य की राह पर चलना हमारी मजबूरी है | आज के कलियुग में सत्यमार्ग पर चलना बेहद मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं | अगर अंतरात्मा के साथ आत्मसात होना है तो सत्यवादी बनना ही होगा |

 

Power of Absolute Truth | अध्यात्म में सत्य का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani

 

 

 

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