जब भी कोई इंसान गलत राह पर जाने की चेष्टा करता है तो अंतरात्मा चीख चीख कर हमें चेताने की पूरी कोशिश करती है लेकिन हम ही हैं जो इस आवाज को अनसुना कर देते हैं | अनसुना करने के पीछे एक वजह है – हमारी अपनी मैं (अहंकार) जो उस आवाज को हम तक पहुंचने ही नहीं देती | एक समय में हम एक ही आवाज सुन सकते हैं – अंतरात्मा की या अपनी मैं की |
भोगो विलास की दुनिया में मस्त आम इंसान अपनी मैं को ज्यादा तवज्जो देता है न कि अपनी स्वयं की आत्मा को | कोई भी डर या भय की स्थिति में एक बार भी ऐसा नहीं होता जब हमारी अंतरात्मा हमें सचेत नहीं करती लेकिन झूठ का लबादा ओढ़े हम उस आवाज को दबा देते हैं | जब हम सही राह पर होते हैं तो अन्दर से कोई आवाज़ नहीं आती लेकिन विपदा की घड़ी में जरूर हमें चेताया जाता है |
जब मैं छोटा था तो मैंने इस आवाज़ को टेस्ट किया | मां ने कुछ लड्डू बनाए थे और कहा था मामा आ रहे हैं इन्हें मत छूना | मैं रसोई में गया और लड्डुओं के कनस्तर की ओर हाथ बढ़ाया – तुरंत अन्दर से आवाज़ आई – मां ने क्या कहा था, चोरी करना पाप है | मैंने दो तीन बार इस आवाज़ को टेस्ट किया लेकिन उसने कभी भी धोखा नहीं दिया | फिर मेरा अपनी अंतरात्मा पर पूर्ण विश्वास जम गया |
Listen to Inner Voice coming from within our Heart | हृदय से आती आवाज को सुनना सीखें | Vijay Kumar