जब मैं 5 वर्ष का था तो मुझे सच बोलना और सुनना बहुत अच्छा लगता था | ब्रह्म से अनजाने में मुलाक़ात हो ही चुकी थी | बस तय कर लिया कुछ भी हो जाए सिर्फ और सिर्फ सच का सहारा लेकर आगे बढूंगा | इस कारण मुझे हृदय से आती अंतरात्मा की आवाज़ साफ सुनाई देने लगी | काफी समय तक सोचता रहा यह कौन बोल रहा है अंदर से लेकिन लोगों से पूछने पर भी समझ नहीं आया |
फिर एक दिन मन में आया इस आवाज़ को टेस्ट करना चाहिए |कहीं ऐसा न हो कि मुझसे जाने अनजाने में गलत काम करवा दे | एक दिन मां ने लड्डू बनाए और कहा मामा आएंगे तो छूना मत | मैं अकेले में रसोई में घुसा और लड्डू के डिब्बे की तरफ हाथ बढ़ाया | तुरंत अंतरात्मा की आवाज़ आयी – मां ने क्या कहा था, चोरी करना पाप है | कई बार मैंने इस आवाज़ को टेस्ट किया और इसने मुझे हमेशा सही मार्ग की ओर धकेल दिया |
अंतरात्मा की आवाज सिर्फ सच ही नहीं, वह तो हमे जीवन के हर मोड़ पर सही दिशा देती है | बस शर्त यही है हम सच का दामन थामे रखेंगे – अन्यथा यह आवाज़ हमे सुनाई नहीं देगी | झूठ के आवरण, लबादे के नीचे दब कर रह जाएगी | मुझे पूरे आध्यात्मिक सफर में अंदर से आती इस अंतरात्मा की आवाज़ से बेहद फायदा हुआ | अंततः यह भी जान लिया कि अंतरात्मा की आवाज़ और कोई नहीं बल्कि हृदय में स्थित सारथी कृष्ण की आवाज़ है |
Listen to Inner Voice coming from within our Heart | हृदय से आती आवाज को सुनना सीखें | Vijay Kumar