हमारी जो अंतरात्मा है वह महर्षि वेदव्यास और गीताप्रेस, गोरखपुर की दृष्टि में हमारे हृदय में विद्यमान सारथी, खुद कृष्ण हैं | आम इंसान हृदय से आती भगवान कृष्ण (हमारी अपनी आत्मा) की आवाज़ को हमेशा दबा देता है, सुनता ही नहीं, क्यों ? आम इंसान का मैं (अहम, अहंकार) बड़ा प्रबल होता है, वह किसी और आवाज़ को सुनने ही नहीं देता, दबा देता है |
जब एक आध्यात्मिक साधक अध्यात्म के रास्ते पर, मैं पर अंकुश लगाकर हृदय से आती आवाज़ को सुनने की कोशिश करता है तो वह साफ सुनाई देती है | में 5 वर्ष की आयु से हृदय से आती कृष्ण की आवाज़ को clear सुन सकता था |
कोई भी आध्यात्मिक साधक हृदय से आती आत्मा (सारथी कृष्ण) की आवाज़ को साफ सुन सकता है लेकिन एक शर्त है – आप को सत्य का मार्ग अपनाना होगा | चाहकर भी मैं 5 वर्ष की आयु से एक भी झूठ नहीं बोल पाता था | शायद पिछले जन्म के कारण ?
हृदय से आती सारथी कृष्ण की आवाज़ की सहायता से मेरे अंदर आते प्रश्नों के उत्तर मिलते गए और अंततः 1993 में 3 अगस्त सुबह 1.45 पर ब्रह्म से 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार हो गया | जो साधक सत्य की राह पर चलकर हृदय से आती अंतर्रात्मा की आवाज़ सुन सकता है, उसे किसी गुरु या शास्त्रीय अध्ययन की जरूरत नहीं | सब कुछ सारथी कृष्ण खुद ही बता देंगे, सम्पूर्ण भगवद गीता ज्ञान |
अर्जुन के रथ और सारथी कृष्ण का रहस्य | Vijay Kumar… the Man who Realized God in 1993 | Atma Jnani