आत्मा आनंदमय है एक मिथ्या है | क्यों ? जिस आत्मा का खुद का temperature 1 करोड़ degrees Celsius हो और जो सूर्य के गर्भ में स्थित हो वह अशुद्धि की अवस्था में आनंदमय हो ही नहीं सकती | अशुद्ध है तभी तो 84 लाख योनियों के फेर से गुजरती है |
आनंद की स्थिति तो मनुष्य की होती है जब वह अध्यात्म के सफर पर चल पड़ता है – इस उम्मीद में कि एक दिन ब्रह्म से मुलाकात तो होगी | जैसे जैसे कर्मों की निर्जरा होती जाती है उसी अनुपात में खुशियां बढ़ने लगती हैं | अब अध्यात्म का रास्ता/ सफर देखें –
1. अध्यात्म के सफर की सबसे बड़ी परेशानी – सत्य के रास्ते पर चलना होगा और ईमानदारी से काम करेंगे तो रोटिरोजी कहां से आएगी, घर कैसे चलेगा |
2. एक दिन मोह खत्म करना होगा – छोटे छोटे बच्चों का साथ छोड़ना होगा |
3. दुनिया वाले हर step पर धोखा देंगें, अपने तो ज्यादा ही |
4. दोस्त, सगे संबंधियों का साथ छूटेगा |
5. ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे तो पत्नी शोर मचाएगी |
6. अध्यात्म के सफर में हम हमेशा अकेले होंगे |
7. 24 घंटे समाज की उलाहना – जब गृहस्थी संभलती नहीं तो शादी क्यों की थी |
और न जाने क्या क्या परेशानियां आएंगी |
आध्यात्मिक सफर जो कर रहा है उसे तो समय समय पर थोड़ा आनंद/ खुशियां मिलती हैं लेकिन परिवार पूरी तरह टूट जाता है | अध्यात्म अध्ययन का विषय नहीं | यह ध्यान/ चिंतन में उतरकर किया जाता है | मुझे अपने 67 वर्ष के प्रवास में एक भी साधक नहीं मिला जो सकुशल चिंतन कर सके |
अध्यात्म और भेड़ चाल | Vijay Kumar Atma Jnani