अध्यात्म की दृष्टि में सारे दुनिया जहान की खबर रखना गलत है ?


द्रौपदी के स्वयंवर में अर्जुन को मछली कि आंख क्यों नहीं दिखाई दी ? उन्हें सिर्फ दिखाई दिया मछली कि आंख का वो core जहां तीर मारना था | अर्जुन जैसी एकाग्रता जब तक साधक में नहीं होगी, अध्यात्म की सीढ़ी पर कुछ हासिल नहीं होगा |

 

भारतीय दर्शन शास्त्र इतने विराट, विस्तृत हैं कि विवेक का सही इस्तेमाल करके हम गूढ़ तत्व तक पहुंच सकते है अन्यथा नहीं | जो हमे 1 करोड़ वर्ष की अवधि में निमित्त है, अगर वह एक ही जन्म में पाना है तो हर समय अर्जुन जैसी एकाग्रता की जरूरत पड़ेगी |

 

अगर हम बाढ़ में बह रहे हैं तो निगाह किस पर होती है – कोई बहता हुआ लट्ठा मिल जाएं, बाकी सब बाद में |

 

अगर आप Banaras Hindu University जाएं तो शायद घुसते ही Dr. Rajendra Prasad (स्वाधीन भारत के पहले राष्ट्रपति) की marks sheet जड़ी हुई दिख जाए | टीचर ने लिखा है – स्टूडेंट टीचर से ज्यादा होशियार है इसलिए 100 में से 110 no दिए जाते हैं |

 

जब आध्यात्मिक साधक का concentration Dr. Rajendra Prasad जितना हो जाए तो खुद को अध्यात्म के काबिल समझना चाहिए, पहले नहीं | अध्यात्म में 12 साल की तपस्या यूं ही पूरी नहीं हो जाती – जिसके लिए भगवान ने 1 करोड़ साल की अवधि निमित्त की है |

 

12 years Tapasya | 12 साल की घोर तपस्या का सच | Vijay Kumar Atma Jnani

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