हम आत्मा हैं शरीर नहीं हैं – इस बात को जानने के लिए महर्षि रमण ने एक experiment किया | वह तख्त पर शवासन की मुद्रा में लेट गए और और अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया, उस तरह से जैसे वह मृत हो | कुछ देर बाद उन्होंने देखा शरीर तो अभी भी चल रहा है | कोई चीज है जो उनके हृदय में स्थित है और धड़क रही है |
उस चीज को जीवित रहने के लिए श्वास की जरूरत पड़ती है | वह समझ गए शरीर के अतिरिक्त शरीर में एक चेतना भी मौजूद है जिसका शरीर के बिना भी अस्तित्व है | बस फिर क्या था | महर्षि रमण उस चेतना, आत्मा की खोज में जुट गए | उन्हें इस बात का अहसास हो गया कि अगर इस चेतन तत्व तक पहुंच गया तो ब्रह्म तक भी पहुंच जाऊंगा |
Difference between Atman and Brahman | आत्मा परमात्मा में भेद | Vijay Kumar Atma Jnani