जब से धरती बनी और मानव अस्तित्व में आए – कितने महावीर, बुद्ध या महर्षि रमण आए और गए | 800 करोड़ में ऐसे लोगों को अंगुलियों पर भी गिनने की जरूरत नहीं | जितने भी साधक अध्यात्म के रास्ते पर seriously चल रहे हैं – वह विशेष नहीं हुए तो क्या ?
अध्यात्म का सफर कमर तोड़ देता है (चाहे ब्रह्मचारी हों या गृहस्थ) – स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी होते हुए 39 में चले गए और रामकृष्ण परमहंस पर लोग अक्सर पत्थर फेंका करते थे | चाहे महावीर हों या बुद्ध – सभी ने अनगिनत, अनकहे कष्ट झेले हैं | स्वामी विवेकानंद अंदर ही अंदर टूट चुके थे – कोई तो असहनीय पीड़ा रही होगी |
12 वर्ष की तपस्या में उतरना आसान नहीं, महर्षि रमण को गए 74 वर्ष हो गए – 800 करोड़ में एक भी नहीं जो इस राह पर चल रहा हो | अगर तपस्या सही से की जाए तो महावीर बनने में लगते 12 साल ही हैं | स्वामी विवेकानंद 122 वर्ष पूर्व चले गए, दूसरा स्वामी विवेकानंद कहां है ?
और सारी दुनियां बेसब्री से कल्कि अवतार के आने का इंतज़ार कर रही है ! खैर यह इंतज़ार जल्द खत्म होगा !
2024 से 2032 तक का समय आध्यात्मिक दृष्टिकोण से | Vijay Kumar Atma Jnani