ईश्वरीय तत्व को जीवन में पहली बार महसूस करने के लिए – सत्य की राह पर चलना आवश्यक ही नहीं 100% जरूरी है | मेरी पहली मुलाकात ब्रह्म से 5 वर्ष की आयु में हुई | typhoid से पीड़ित, सभी डॉक्टर कह कर चले गए – दुआएं करों, आज की रात गुजर गई तो ठीक अन्यथा सुबह तक ये बच्चा निबट लेगा |
सुबह हुई मैं जगा हुआ था | रात में भगवान से setting जो हो गई थी | रात में भगवान से जो बात हुई, वह मेरे किसी वीडियो में मिल जाएगी | और मेरी भगवान से मिलने की तैयारी 5 वर्ष की आयु में शुरू हो गई | सत्य की राह पर चलने के कारण ही भगवान से बात कर पाया था और इसी कारण हृदय से आती सारथी (कृष्ण, यानी हमारी अपनी आत्मा) की आवाज़ साफ सुन सकता था |
जो साधक इस जीवन में भगवान से मिलना चाहता है, ब्रह्मलीन होना चाहता है उसे 100% सच का रास्ता लेना ही होगा |
Power of Absolute Truth | अध्यात्म में सत्य का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani